Thursday, May 21, 2015
मुरली 22 मई 2015
"मीठे बच्चे - अनेक देहधारियों से प्रीत निकाल एक विदेही बाप को याद करो तो तुम्हारे सब अंग शीतल हो जायेंगे"
प्रश्न:-
जो दैवीकुल की आत्मायें हैं, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
दैवी कुल वाली आत्माओं को इस पुरानी दुनिया से सहज ही वैराग्य होगा। 2- उनकी बुद्धि बेहद में होगी। शिवालय में चलने के लिए वह पावन फूल बनने का पुरूषार्थ करेंगे। 3- कोई आसुरी चलन नहीं चलेंगे। 4- अपना पोतामेल रखेंगे कि कोई आसुरी कर्म तो नहीं हुआ? बाप को सच सुनायेंगे। कुछ भी छिपायेंगे नहीं।
गीतः न वह हमसे जुदा होंगे...
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) बाप को अपनी पढ़ाई का जलवा दिखलाना है। भारत को स्वर्ग बनाने के धंधे में लग जाना है। पहले अपनी उन्नति का ख्याल करना है। क्षीरखण्ड होकर रहना है।
2) कोई भूल हो तो बाप से क्षमा लेकर स्वयं ही स्वयं को सुधारना है। बाप कृपा नहीं करते, बाप की याद से विकर्म काटने हैं, निंदा कराने वाला कोई कर्म नहीं करना है।
वरदान:-
5 विकार रूपी दुश्मन को परिवर्तित कर सहयोगी बनाने वाले मायाजीत जगतजीत भव!
विजयी, दुश्मन का रूप परिवर्तन जरूर करता है। तो आप विकारों रूपी दुश्मन को परिवर्तित कर सहयोगी स्वरूप बना दो जिससे वे सदा आपको सलाम करते रहेंगे। काम विकार को शुभ कामना के रूप में, क्रोध को रूहानी खुमारी के रूप में, लोभ को अनासक्त वृत्ति के रूप में, मोह को स्नेह के रूप में और देहाभिमान को स्वाभिमान के रूप में परिवर्तित कर दो तो मायाजीत जगतजीत बन जायेंगे।
स्लोगन:-
आत्मा रूपी रीयल गोल्ड में मेरापन ही अलाए है, जो वैल्यु को कम कर देता है इसलिए मेरेपन को समाप्त करो।
ओम् शांति ।