Tuesday, May 5, 2015

मुरली 05 मई 2015

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें संग बहुत अच्छा करना है, बुरे संग का रंग लगा तो गिर पड़ेंगे, 
कुसंग बुद्धि को तुच्छ बना देता है'' 

प्रश्न:- अभी तुम बच्चों को कौन सी उछल आनी चाहिए? 
उत्तर:- तुम्हें उछल आनी चाहिए कि गांव-गांव में जाकर सर्विस करें। तुम्हारे पास जो कुछ है, 
वह सेवा अर्थ है। बाप बच्चों को राय देते हैं-बच्चे, इस पुरानी दुनिया से अपना पल्लव आजाद 
करो। कोई चीज में ममत्व नहीं रखो, इनसे दिल नही लगाओ। 

गीत:- इस पाप की दुनिया से................... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इस दुनिया का जो कुछ है उसे भूलना है। बाप समान ओबीडियन्ट बन सर्विस करनी है। 
सबको बाप का परिचय देना है। 

2) इस पतित दुनिया में अपने आपको कुसंग से बचाना है। बाजार का गंदा भोजन नहीं खाना है, 
बाइसकोप नहीं देखना है। 

वरदान:- रूहानियत की श्रेष्ठ स्थिति द्वारा वातावरण को रूहानी बनाने वाले सहज पुरूषार्थी भव 

रूहानियत की स्थिति द्वारा अपने सेवाकेन्द्र का ऐसा रूहानी वातावरण बनाओ जिससे स्वयं की 
और आने वाली आत्माओं की सहज उन्नति हो सके क्योंकि जो भी बाहर के वातावरण से थके हुए 
आते हैं उन्हें एकस्ट्रा सहयोग की आवश्यकता होती है इसलिए उन्हें रूहानी वायुमण्डल का सहयोग दो। 
सहज पुरूषार्थी बनो और बनाओ। हर एक आने वाली आत्मा अनुभव करे कि यह स्थान सहज ही 
उन्नति प्राप्त करने का है। 

स्लोगन:- वरदानी बन शुभ भावना और शुभ कामना का वरदान देते रहो।