स्मृति दिवस पर बापदादा की बच्चों प्रति शिक्षायें
वरदान:
सागर के तले में जाकर अनुभव रूपी रत्न प्राप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव!
समर्थ आत्मा बनने के लिए योग की हर विशेषता का, हर शक्ति का और हर एक ज्ञान की मुख्य पाइंट का अभ्यास करो। अभ्यासी, लगन में मगन रहने वाली आत्मा के सामने किसी भी प्रकार का विघ्न ठहर नहीं सकता इसलिए अभ्यास की प्रयोगशाला में बैठ जाओ। अभी तक ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शक्तियों के सागर में ऊपर-ऊपर की लहरों में लहराते हो, लेकिन अब सागर के तले में जाओ तो अनेक प्रकार के विचित्र अनुभव के रत्न प्राप्त कर समर्थ आत्मा बन जायेंगे।
स्लोगन:
अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आवाहन करती है इसलिए संकल्पों से भी शुद्ध बनो।
ओम् शांति ।
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