Sunday, December 4, 2016

मुरली 4 दिसंबर 2016

04-12-16 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ’ अव्यक्त बापदादा“ रिवाइज:15-12-99 मधुबन 

संकल्प शक्ति के महत्व को जान इसे बढ़ाओ और प्रयोग में लाओ
आज ऊंचे ते ऊंचा बाप अपने चारों ओर के श्रेष्ठ बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि सारे विश्व की आत्माओं से आप बच्चे श्रेष्ठ अर्थात् हाइएस्ट हैं। दुनिया वाले कहते हैं हाइएस्ट इन दी वर्ल्ड और वह भी एक जन्म के लिए लेकिन आप बच्चे हाइएस्ट श्रेष्ठ इन दी कल्प हैं। सारे कल्प में आप श्रेष्ठ रहे हैं। जानते हो ना? अपना अनादि काल देखो, अनादि काल में भी आप सभी आत्मायें बाप के नजदीक रहने वाले हो। देख रहे हो, अनादि रूप में बाप के साथ-साथ समीप रहने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हो। रहते सभी हैं लेकिन आपका स्थान बहुत समीप है। तो अनादि रूप में भी ऊंचे ते ऊंचे हो। फिर आओ आदिकाल में सभी बच्चे देव-पदधारी देवता रूप में हो। याद है अपना दैवी स्वरूप? आदिकाल में सर्व प्राप्ति स्वरूप हो। तन-मन-धन और जन चार ही स्वरूप में श्रेष्ठ हैं। सदा सम्पन्न हो, सर्व प्राप्ति स्वरूप हो। ऐसा देव-पद और किसी भी आत्माओं को प्राप्त नहीं होता। चाहे धर्म आत्मायें हैं, महात्मायें हैं लेकिन ऐसा सर्व प्राप्तियों में श्रेष्ठ, अप्राप्ति का नामनिशान नहीं, कोई भी अनुभव नहीं कर सकता। फिर आओ मध्यकाल में, तो मध्यकाल में भी आप आत्मायें पूज्य बनते हो। आपके जड़ चित्र पूजे जाते हैं। कोई भी आत्माओं की ऐसे विधि-पूर्वक पूजा नहीं होती। जैसे पूज्य आत्माओं की विधि पूर्वक पूजा होती है तो सोचो ऐसे विधि-पूर्वक और किसकी पूजा होती है! हर कर्म की पूजा होती है क्योंकि कर्मयोगी बनते हो। तो पूजा भी हर कर्म की होती है। चाहे धर्म आत्मायें या महान आत्माओं को साथ में मन्दिर में भी रखते हैं लेकिन विधि-पूर्वक पूजा नहीं होती। तो मध्यकाल में भी हाइएस्ट अर्थात् श्रेष्ठ हो। फिर आओ वर्तमान अन्तकाल में, तो अन्तकाल में भी अब संगम पर श्रेष्ठ आत्मायें हो। क्या श्रेष्ठता है? स्वयं बापदादा, परमात्म आत्मा और आदि आत्मा अर्थात् बापदादा दोनों द्वारा पालना भी लेते हो, पढ़ाई भी पढ़ते हो, साथ में सतगुरू द्वारा श्रीमत लेने के अधिकारी बने हो। तो अनादिकाल, आदिकाल, मध्यकाल और अब अन्तकाल में भी हाइएस्ट हो, श्रेष्ठ हो। इतना नशा रहता है? बापदादा कहते हैं इस स्मृति को इमर्ज करो। मन में, बुद्धि में इस प्राप्ति को दोहराओ। जितना स्मृति को इमर्ज रखेंगे उतना स्मृति में रूहानी नशा होगा। खुशी होगी, शक्तिशाली बनेंगे। इतना हाइएस्ट आत्मा बने हैं। यह निश्चय है पक्का? कि हम ही हाइएस्ट, श्रेष्ठ बने थे, बने हैं और सदा बनते रहेंगे। नशा है? पक्का निश्चय है तो हाथ उठाओ। टीचर्स ने भी उठाया। मातायें तो सदा खुशी के झूले में झूलती हैं, झूलती हैं ना! माताओं को बहुत नशा रहता है, क्या नशा रहता है? हमारे लिए बाप आया है। नशा है ना! द्वापर से सभी ने नीचे गिराया, इसलिए बाप को माताओं पर बहुत प्यार है और खास माताओं के लिए बाप आये हैं। खुश हो रहे हैं, लेकिन सदा खुश रहना। ऐसे नहीं अभी हाथ उठा रहे हैं और ट्रेन में जाओ तो थोड़ा- थोड़ा नशा उतरता जाए, सदा एकरस, अविनाशी नशा हो। कभी-कभी का नशा नहीं, सदा का नशा सदा ही खुशी प्रदान करता है। आप माताओं के चेहरे सदा ऐसे होने चाहिए जो दूर से रूहानी गुलाब दिखाई दो क्योंकि इस विश्व विद्यालय की जो बात सबको अच्छी लगती है, विशेषता दिखाई देती है वह यही कि मातायें रूहानी गुलाब समान सदा खिला हुआ पुष्प हैं और मातायें ही जिम्मेवारी उठाए, मातायें इतना बड़ा कार्य कर रही हैं। चाहे महामण्डलेश्वर भी हैं लेकिन वह भी समझते हैं कि मातायें निमित्त बनी हैं और ऐसे श्रेष्ठ कार्य सहज चला रही हैं। माताओं के लिए कहावत है– सच है नहीं, लेकिन कहावत है तो दो मातायें भी इक्ठ्ठा कोई कार्य करें, बड़ा मुश्किल है। लेकिन यहाँ कौन निमित्त हैं? मातायें ही हैं ना! जब भी मिलने आते हैं तो क्या पूछते हैं? मातायें चलाती हैं, आपस में लड़ती नहीं हैं? खिटखिट नहीं करती हैं? लेकिन उन्हों को क्या पता कि यह साधारण मातायें नहीं हैं, यह परमात्मा द्वारा निमित्त बनी हुई आत्मायें, मातायें हैं। परमात्म वरदान इन्हों को चला रहा है। ऐसे तो नहीं भाई (पाण्डव) समझते हैं कि माताओं का मान है, हमारा नहीं है क्या। आप का भी गायन है 5 पाण्डव गाये हुए हैं। शक्तियों के साथ, 7 शीतलायें दिखाते हैं तो एक पाण्डव भी दिखाते हैं। और पाण्डवों के बिना मातायें नहीं चला सकती, माताओं के बिना पाण्डव नहीं चला सकते। दोनों भुजायें चाहिए लेकिन माताओं को बहुत गिरा दिया था ना, इसलिए बाप माताओं को जो दुनिया असम्भव समझती है, वह सम्भव करके दिखा रहे हैं। आप खुश हो ना माताओं को देख करके? या नहीं? खुश हैं ना! अगर माताओं को बाप निमित्त नहीं बनाता तो नया ज्ञान, नई सिस्टम होने कारण पाण्डवों को देखकर बहुत हंगामा होता। मातायें ढाल हैं क्योंकि नया ज्ञान है ना। नई बातें हैं। लेकिन बहिनों के साथ भाई सदा ही साथ हैं। पाण्डव अपने कार्य में आगे हैं और बहिनें अपने कार्य में आगे हैं। दोनों की राय से हर कार्य निर्विघ्न बन चल रहा है। बापदादा हर रोज बच्चों के भिन्न-भिन्न कार्य देखते रहते हैं। नये-नये प्लैन बनते ही रहते हैं। समय तो सबको याद है। याद है? 99 का चक्कर भी पूरा हो गया ना! क्या सोचते थे, 99 आ गया, 99 आ गया। लेकिन आप सबके लिए सेवा करने का वर्ष, निर्विघ्न रहने का वर्ष मिला। देखो 99 में ही मौन भठ्ठियां कर रहे हो ना! दुनिया घबराती है और आप, जितना वह घबराते हैं उतना ही आप सभी याद की गहराई में जा रहे हो। मन का मौन है ही, ज्ञान सागर के तले में जाना और नये-नये अनुभवों के रत्न लाना। जो बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है– सबसे बड़ा खजाना है जो वर्तमान और भविष्य बनाता है, वह है श्रेष्ठ खजाना, श्रेष्ठ संकल्प का खजाना। संकल्प शक्ति बहुत बड़ी शक्ति है जो आप बच्चों के पास है– श्रेष्ठ संकल्प की शक्ति। संकल्प तो सबके पास हैं लेकिन श्रेष्ठ शक्ति, शुभ भावना शुभ कामना की संकल्प शक्ति, मन-बुद्धि एकाग्र करने की शक्ति– यह आपके पास ही है। और जितना आगे बढ़ते जायेंगे इस संकल्प शक्ति को जमा करते जायेंगे, व्यर्थ नहीं गंवायेंगे, व्यर्थ गंवाने का मुख्य कारण है व्यर्थ संकल्प। व्यर्थ संकल्प, बापदादा ने देखा है मैजारिटी बच्चों के सारे दिन में व्यर्थ अभी भी है। जैसे स्थूल धन को एकानामी से यूज करने वाले सदा ही सम्पन्न रहते हैं और व्यर्थ गंवाने वाले कहाँ न कहाँ धोखा खा लेते हैं। ऐसे श्रेष्ठ शुद्ध संकल्प में इतनी ताकत है जो आपके कैचिंग पावर, वायब्रेशन कैच करने की पावर, बहुत बढ़ सकती है। यह वायरलेस, यह टेलीफोन.... जैसे यह साइंस का साधन कार्य करता है वैसे यह शुद्ध संकल्प का खजाना, ऐसा ही कार्य करेगा जो लण्डन में बैठे हुए कोई भी आत्मा का वायब्रेशन आपको ऐसे ही स्पष्ट कैच होगा जैसे यह वायरलेस या टेलीफोन, टी.वी. यह जो भी साधन हैं....कितने साधन निकल गये हैं, इससे भी स्पष्ट आपकी कैचिंग पावर, एकाग्रता की शक्ति से बढ़ेगी। यह आधार तो खत्म होने ही हैं। यह सब साधन किस आधार पर हैं? लाइट के आधार पर। जो भी सुख के साधन हैं मैजारिटी लाइट के आधार पर हैं। तो क्या आपकी आध्यात्मिक लाइट, आत्म लाइट यह कार्य नहीं कर सकती! जो चाहो वायब्रेशन नजदीक के, दूर के कैच कर सकेंगे। अभी क्या है, एकाग्रता की शक्ति मन-बुद्धि दोनों ही एकाग्र हो तब कैचिंग पावर होगी। बहुत अनुभव करेंगे। संकल्प किया– नि:स्वार्थ, स्वच्छ, स्पष्ट वह बहुत क्विक अनुभव करायेगा। साइलेन्स की शक्ति के आगे यह साइन्स झुकेगी। अभी भी समझते जाते हैं कि साइंस में भी कोई मिसिंग हैं जो भरनी चाहिए इसलिए बापदादा फिर से अन्डरलाइन करा रहा है कि अन्तिम स्टेज, अन्तिम सेवा– यह संकल्प शक्ति बहुत फास्ट सेवा करायेगी इसीलिए संकल्प शक्ति के ऊपर और अटेन्शन दो। बचाओ, जमा करो। बहुत काम में आयेगी। प्रयोगी इस संकल्प की शक्ति से बनेंगे। साइंस का महत्व क्यों है? प्रयोग में आती है तब सब समझते हैं हाँ साइंस अच्छा काम करती है। तो साइलेन्स की पावर का प्रयोग करने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए और एकाग्रता का मूल आधार है– मन की कन्ट्रोलिंग पावर, जिससे मनोबल बढ़ता है। मनोबल की बड़ी महिमा है, यह रिधि सिद्धि वाले भी मनोबल द्वारा अल्पकाल के चमत्कार दिखाते हैं। आप तो विधि पूर्वक, रिधि सिद्धि नहीं, विधि पूर्वक कल्याण के चमत्कार दिखायेंगे जो वरदान हो जायेंगे, आत्माओं के लिए यह संकल्प शक्ति का प्रयोग वरदान सिद्ध हो जायेगा। तो पहले यह चेक करो कि मन को कन्ट्रोल करने की कन्ट्रोलिंग पावर है? सेकण्ड में जैसे साइन्स की शक्ति, स्विच के आधार से, स्विच आन करो, स्विच आफ करो– ऐसे सेकण्ड में मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो, उतना कन्ट्रोल कर सकते हैं? बहुत अच्छे-अच्छे स्वयं प्रति भी और सेवा प्रति भी सिद्धि रूप दिखाई देंगे। लेकिन बापदादा देखते हैं कि संकल्प शक्ति के जमा का खाता अभी साधारण अटेन्शन है। जितना होना चाहिए उतना नहीं है। संकल्प के आधार पर बोल और कर्म ऑटोमेटिक चलते हैं। अलग-अलग मेहनत करने की जरूरत ही नहीं है, आज बोल को कन्ट्रोल करो, आज दृष्टि को अटेन्शन में लाओ, मेहनत करो, आज वृत्ति को अटेन्शन से चेंज करो। अगर संकल्प शक्ति पावरफुल है तो यह सब स्वत: ही कन्ट्रोल में आ जाते हैं। मेहनत से बच जायेंगे। तो संकल्प शक्ति का महत्व जानो। यह भठ्ठियां विशेष इसीलिए कराई जाती हैं, आदत पड़ जाए। यहाँ की आदत भविष्य में भी अटेन्शन दे करते रहें तब अविनाशी हो। समझा। क्या महत्व है? आपके पास बड़ा ऊंचे ते ऊंचा खजाना बाप ने दिया है। यह श्रेष्ठ संकल्प, शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प का खजाना है? सबको बाप ने दिया है लेकिन जमा नम्बरवार करते हैं और प्रयोग में लाने की शक्ति भी नम्बरवार है। अभी भी शुभ भावना वा शुभ कामना इसका प्रयोग किया है? विधि पूर्वक करने से सिद्धि का अनुभव होता है? अभी थोड़ा-थोड़ा होता है। आखिर आपके संकल्प की शक्ति इतनी महान हो जायेगी– जो सेवा में मुख द्वारा सन्देश देने में समय भी लगाते हो, सम्पत्ति भी लगाते हो, हलचल में भी आते हो, थकते भी हो..लेकिन श्रेष्ठ संकल्प की सेवा में यह सब बच जायेगा। बढ़ाओ। इस संकल्प शक्ति को बढ़ाने से प्रत्यक्षता भी जल्दी होगी। अभी 62-63 वर्ष हो गये हैं, इतने समय में कितनी आत्मायें बनाई हैं? 9 लाख भी पूरे नहीं हुए हैं। और सारे विश्व को सन्देश पहुंचाना है तो कितनी करोड़ आत्मायें हैं? अभी तक भी भगवान इन्हों का टीचर है, भगवान इन्हों को चला रहा है, करावनहार परमात्मा करा रहा है...यह स्पष्ट नहीं हुआ है। अच्छा कार्य है और श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं यह आवाज तो है लेकिन करावनहार अभी भी गुप्त है। तो यह संकल्प शक्ति से हर एक के बुद्धि को परिवार्तित कर सकते हो। चाहे अहो प्रभू कहके प्रत्यक्ष हो, चाहे बाप के रूप में प्रत्यक्ष हो। तो बापदादा अभी भी फिर से अटेन्शन दिलाता है कि संकल्प शक्ति को बढ़ाओ और प्रयोग में लाते रहो। समझा। अच्छा– आज माताओं का चांस है, एक माताओं का ग्रुप और मेडीसिन (मेडिकल) वाले, दो वर्ग हैं। मातायें क्या कमाल करेंगी? मेम्बर तो बन गई? महिला वर्ग की मेम्बर हो, अच्छी बात है ना! लेकिन जो भी मेम्बर बने हैं, अच्छा किया है। अभी आप सबकी लिस्ट गवर्मेन्ट को भेजेंगे क्यों भेजेंगे, डरना नहीं। इनकमटैक्स वाले नहीं आयेंगे आपके पास, इसीलिए भेजेंगे कि यह सब मातायें अभी जगत मातायें बन, जगत को सुधारेंगी। यह कार्य करेंगी ना? तो गवर्मेन्ट को आपका नाम भेजें कि इतनी मातायें दुनिया को स्वर्ग बनाने वाली हैं? भेजें, हाथ उठाओ, डरते तो नहीं हो। डरना नहीं लेकिन यह ध्यान रखना कि अगर आपकी ऐसी इन्क्वायरी करें तो पहले आपका घर स्वर्ग बना है क्योंकि पहले घर फिर विश्व। तो कोई भी माता के पास आकर देखे तो घर में सुख-शान्ति है? तो दिखाई देगा, घर स्वर्ग बनायेंगे? या विश्व को स्वर्ग बनायेंगे, घर को नहीं। पहले घर को बनायेंगी तभी दूसरों पर भी प्रभाव पड़ेगा। नहीं तो कहेंगे घर में कलह लगा पड़ा है, स्वर्ग कहाँ है। तो इसीलिए माताओं को ऐसा वायुमण्डल बनाना है जो कोई भी देखे तो यही दिखाई दे कि माताओं ने परिवर्तन अच्छा किया है। अच्छा जो मेम्बर हैं वह हाथ उठाओ। कितने मेम्बर हैं? (एक हजार आये हैं) एक हजार भी बहुत हैं। तो जिन्होंने हाथ उठाया मेम्बर हैं, उन्हों के घर में सुख-शान्ति है? हाँ वह हाथ उठाओ। खड़ी हो जाओ। समझ में आया या ऐसे ही खड़ी हो गई। घर स्वर्ग है? घर में शान्ति है? अच्छा– इन्हों का फोटो निकालो। अच्छा।

चारों ओर की श्रेष्ठ आत्माओं को, आदि मध्य और अन्त में श्रेष्ठ पार्ट बजाने वाली आत्माओं को, सदा अपने श्रेष्ठ संकल्प की विधि को अनुभव करने वाले, सदा सहज योगी के साथ-साथ प्रयोगी बनने वाले, सदा संकल्प की शक्ति द्वारा सर्व शक्तियों को बढ़ाने वाले, मन और बुद्धि पर नियन्त्रण रखने वाले, सदा प्रयोगी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:
पुराने संस्कारों वा विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करने वाले सदा शक्ति सम्पन्न भव
किसी भी प्रकार के विघ्नों से, कमजोरियों से या पुराने संस्कारों से मुक्ति चाहते हो तो शक्ति धारण करो अर्थात् अंलकारी रूप होकर रहो। जो अलंकारों से सदा सजे सजाये रहते हैं वह भविष्य में विष्णुवंशी बनते हैं लेकिन अभी वैष्णव बन जाते हैं। उन्हें कोई भी तमोगुणी संकल्प वा संस्कार टच नहीं कर सकता। वे पुरानी दुनिया अथवा दुनिया की कोई भी वस्तु और व्यक्तियों से सहज ही किनारा कर लेते हैं, उन्हें कारणे अकारणे भी कोई टच नहीं कर सकता।
स्लोगन:
हर समय हर कर्म में बैलेन्स रखना ही सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने का साधन है।